Majdoori -Majboori: मजदूरी मजबूरी मजदूर की जिंदगी
Majdoori -Majboori
किसा जमाना आ गया इब ना मिलती मजदूरी
बड़े लोग फैदा ठाम: स देख क मजबूरी
मजबूर आदमी आपने मन न मारे जावे स
वेदर्द जमाना उसप: कहर गुजरे जाव: स
उसन: तो आपने बच्यां का भरणा हो स पेट
खून चूस लें स उसका यां बड़े बड़े सेट
काम करांव: ज्यादा कीमत देते ना पूरी
किसा जमाना आ गया इब ना मिलती मजदूरी
मजबूरी म आक: कदम वा गलत उठाव: स
फेर फेंक क कस्सी कसोले हाथ म बंदूक उठाव: स
फेर देख: उसन: जिसन: उसप: कहर गुजारे थे
काम कराक: जिसन: उसके पैसे मारे थे
फेर गलत राह प जाक: कर: वा आपणी इच्छा पूरी
किसा जमाना आ गया इब ना मिलती मजदूरी
पढ़े लिखे न आज काल नाही मिलता रुजगार
अनपढ़ त भी ज्यादा होगे पढ़े लिखे बेकार
पढ़ लिख क भी जे उसन: करणी पड ज मजदूरी
ताने मारं: लोग ना उसकी समझ: मजबूरी
इस भ्रष्ट देश म साचे जन की रह ज आस अदूरी
किसा जमाना आ गया इब ना मिलती मजदूरी
By Deepak Dhindoli
- व्याख्या
बाद भी उनको उनका मेहनताना नही दिया जाता। तो सोचो कि इस तरह की स्थिति में वो मजदूर किस तरह से इस बढ़ती हुई महंगाई में अपने बच्चों का पेट भरेगा। मजदूर आदमी मजबूर होता है और अपने शोषण को सहन करते हुए भी अपने बच्चों का पेट भरने के लिए अपने मन में उठ रहे गुस्से को काबू करता है और फिर से किसी के घर पे जाकर काम करता है। और जब सारी हदें पार हो जाती हैं और उसके पास कोई रास्ता नही बचता है तो वो मजदूर मजबूरी में कुछ ऐसा कर जाता है जिसका समाज को नुकसान उठाना पड़ता है। जब उसके क्रोध की सीमा टूट जाती है तो वो किसी की जान लेने तक का फैसला कर लेता है। क्योंकि उसके पास खोने को कुछ बचता नही है । इस तरह से वो गलत रास्ते पर चल पड़ता है और गलत तरीके से पैसा कमाने लगता है।
उसी तरह से आज के पढ़े लिखे नौजवान का हाल है। जिसे पढ़ने के बाद भी नोकरी या अच्छा रोजगार नही मिल पाता है। अगर वो बच्चा पढ़ लिख कर भी मजदूरी करने को मजबूर होता है तो लोग उसका मजाक उड़ाने लगते हैं। और इस सरमिंदगी के कारण वो कुछ ऐसा गलत रास्ता अपना लेता है जिसका समाज पर बुरा असर पड़ता है। हमारे देश में भ्रष्टाचार इतने चरम पर है की आप देख ही रहे हो किस तरह से सरकारी नौकरी के लिए होने वाले पेपर कैसे लीक हो रहे हैं। तो ऐसी स्थिति मे ईमानदार और महनती बच्चों को रोजगार मिलना बड़ा मुस्किल हो जाता है।
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Bahut acchi poem
जवाब देंहटाएंNice
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